Beyond Words
Tuesday, July 19, 2011
.मेरी पहचान का एक शख्स इसी शहर में है...
मैं भी जिंदा हूँ उसको ज़रा बता दे कोई....
कुछ तो तन्हाई का एहसास मुझे कम होगा...
मेरे साए से अगर मुझको मिला दे कोई...
मेरे ख्वाबों का हर एक नक्श मिटा दे कोई...
सूखे पत्तों का बचा ढेर जला दे कोई ..
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